(११) परासर गोत्र— महर्षि परासर इस गोत्र के प्रवर्तक हैं । इस गोत्र वाले त्रिप्रवर धारी होते हैं- परासर, वशिष्ठ और शक्ति । इनका वेद ययुर्वेद और उपवेद है धनुर्वेद। शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायनी,छन्द त्रिष्टुप्, शिखा एवं पाद दक्षिण तथा देवता हैं रुद्र । इस गोत्र में आठ पुर हैं। यथा—
आम्नाय
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पुरनाम
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मूलस्थान
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आर१-२४
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योतियार
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पवई,औरंगाबाद,बिहार
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आर१-२४
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ऐआरो
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गजहनी,आरा,बिहार
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आर१-२४
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सरैयार
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गजहनी,आरा,बिहार
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आर१-२४
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उरुवार
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ऊर,टेकारी,गया
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उपकिरण१-१८
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पिपरहा
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पिपरहा,छपरा,बिहार
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मण्डल १-१२
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पारसम/तेरहपरासी
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परसन,भोजपुर,बिहार
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किरण १-१७
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कुकरौंधा
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कुकरौंधा,टेकारी,गया
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किरण १-१७
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गण्डार्क
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विनायक,टेकारी,गया
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नोट—ऐयार पुर रहदौरी गोत्र में भी हैं,कुकरौंधा काश्यप गोत्र में भी हैं, उरुवार भारद्वाज गोत्र में भी हैं । अतः तदनुसार ही उनका प्रवरादि भेद हो जायेगा।
(१२) मुर्द्धनी गोत्र— इसके प्रवर्तक मौनस ऋषि हैं । इनका प्रवर तीन है । इनका वेद ययुर्वेद और उपवेद है धनुर्वेद । शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायनी, छन्द त्रिष्टुप्, शिखा एवं पाद दक्षिण तथा देवता हैं रुद्र । इस गोत्र में मात्र एक पुर है—पण्डरिक , जिनका आम्नाय अर्क है । मूलस्थान पंडारक,पटना माना जाता है । ध्यातव्य है कि पुण्यार्क पुर वालों का मूल स्थान है यह, और उनका गोत्र मौद्गल है। किंचित भ्रामक स्थिति है इनके बारे में । लगता है कहीं भूल हुयी है ।
(१३) वेतायन गोत्र— इस गोत्र के प्रवर्तक ऋषि भी स्पष्ट नहीं है । त्रिप्रवर की मान्यता है, किन्तु उसके कौन-कौन से ऋषि हैं ये भी स्पष्ट नहीं है। इनका वेद ययुर्वेद और उपवेद है धनुर्वेद । शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायनी, छन्द त्रिष्टुप्, शिखा एवं पाद दक्षिण तथा देवता हैं रुद्र । मण्डल आम्नाय के कांक्ष नामक पुर की चर्चा मिलती है, जिनका मूल स्थान खजनी, गया बतलाया जाता है। किन्तु ये कुछ भ्रामक है ।
(१४) जमदग्नि गोत्र— जमदग्नि ऋषि इसके प्रवर्तक हैं। इस गोत्र वाले त्रिप्रवर कहे गये हैं- भार्गव,च्यावन और आप्नवाल । सामवेद इनका वेद है और गन्धर्ववेद उपवेद । शाखा- कौथुमी । सूत्र गोभिल । छंद है जगति । शिखा एवं पाद वाम है, तथा देवता हैं विष्णु । इस गोत्र सूची में मात्र दो ही पुर आते हैं—किरण १-१७ आम्नाय का जुत्य वा छठ्ठी नामक पुर जिनका मूल स्थान कोंच,गया है। तथा विपरोह या पिपरोहा पुर जिनका मूलस्थान पिपरोहा,गया है । ध्यातव्य है कि पिपरोहा बिहार के छपरा जिले में भी है।
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