Monday, 18 December 2017

संस्कृत के प्राचीन और नए शब्दकोश

निघण्टु -- यास्क -- वैदिक शब्दकोश

निरुक्त -- यास्क -- निघण्टु पर शब्दार्थ कोश
अमरकोश ('नामलिंगानुशासन' या 'त्रिकांड') -- अमरसिंह
विश्वप्रकाश
मेदिनी
नानार्थार्णवसंक्षेप
वर्णदेशना
षडर्थनिर्णयकोश -- 'राक्षस' कवि
षड्मुखकोश
लघुशब्देंदुशेखर
बृहतच्छब्देंदुशेखर
बालमनोरमा
प्रौढ़मनोरमा
बृहत अमरकोश -- राजमुकुट कृत अमरकोश टीका
बृहानंद अमरकोश -- सर्वदानन्द
बृहत् हारावली -- भानुदीक्षित
हारवली
शब्दार्णवसंक्षेप
कल्पद्रुकोश
निघण्टु -- यास्क
निरुक्त -- यास्क
धातुपाठ -- पाणिनी
गणपाठ -- पाणिनी
अमरकोश -- अमरसिंह
धन्वन्तरिनिघण्टु -- धन्वन्तरि
अनेकार्थसमुच्चय -- शाश्वत -- इसी को 'शाश्वतकोश' भी कहते हैं
अभिधानरत्नमाला -- भट्ठ हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्धी ई०)
वैजयंती कोश -- यादवप्रकाश (समय १०५५ से १३३७ के मध्य)
पाइयलच्छी नाममाला --
देशीनाममाला -- हेमचंद्र -- (प्राकृत—अपभ्रंश—कोश)
अभिधानचिंतामणि या 'अभिधानचिंतामणिनाममाला' -- हेमचंद्र -- प्रसिद्ध पर्यायवाची कोश
लिंगानुशासन -- हेमचंद्र
यशोविजय -- हेमचंद्र -- 'अभिधानचिंतामणि' पर उनकी स्वविरचित टीका
व्युत्पत्तिरत्नाकर (देवसागकरणि) --हेमचंद्र -- टीकाग्रन्थ
सारोद्धार' (वल्लभगणि) -- प्रसिद्ध टीका
अनेकार्थसंग्रह -- हेमचंद्र
विश्वप्रकाश - महेश्वर (११११ ई०) -- इसे 'विश्वकोश' भी अधिकतः कहा जाता है।
शब्दभेदप्रकाश -- महेश्वर -- वस्तुतः विश्वप्रकाश का परिशिष्ट है।
अनेकार्थ -- मंख पंडित (१२ वीं शती ई०)
नानार्थसंग्रह -- अजयपाल (लगभग १२ वीं—१३ वी शती के बीच)
नाममाला -- धनंजय (ई० १२ वी० शताब्दी उत्तरार्ध के आसपास अनुमानित)
हारावली -- पुरुषोत्तमदेव (समय ११५९ ई० के पूर्व)
त्रिकांडकोश -- पुरुषोत्तमदेव -- यह अमरसिंह के त्रिकाण्डकोश से अलग है।
वर्णदेशन -- पुरुषोत्तमदेव
एकाक्षरकोश -- पुरुषोत्तमदेव
द्विरूपकोश -- पुरुषोत्तमदेव
वर्णदेशना -- पुरुषोत्तमदेव
त्रिकांडकोष -- पुरुषोत्तमदेव
हारावली -- पुरुषोत्तमदेव
द्विरूपकोश -- श्रीहर्ष (उपरोक्त ग्रन्थ से अलग ग्रन्थ)
नानार्थार्णव -- केशवस्वामी (समय १२ वीं या १३ वीं शताब्दी)
नानार्थशब्दकोश -- मेदिनि -- (लगभग १४ वी शताब्दी के आसापास) ; यह 'मेदिनिकोष' नाम से अधिक विख्यात है।
अपवर्गनाममाला -- जिनभद्र सुरि -- इसको 'पंचवर्गपरिहारनाममाला भी कहते है।
शब्दरत्नप्रदीप -- कल्याणमल्ल (समय लगभग १२९५ ई०)
शब्दरत्नाकर -- महीप (लगभग १३७४ ई०)
भूरिकप्रयोग -- पद्यगदत्त
शब्दमाला -- रामेश्वर शर्मा
नानार्थरत्नमाला -- भास्कर अथवा दंडाधिनाथ (१४ वी शताब्दी के विजयनगर के राजा हरिहरगिरि की राजसभा में थे)
अभिधानतंत्र -- जटाधर
अनेकार्थ या नानार्थकमंजरी -- नामांगदसिंह का लघु नानार्थकारी है।
रूपमंजरीनाममाला -- रूपचंद्र (१६वीं शती)
शारदीय नाममाला -- हर्षकीर्ति
शब्दरत्नाकर -- वर्मानभट्ट वाण
नामसंग्रहमाला -- अप्पय दीक्षित
नामकोश -- सहजकीर्ति (१६२७)
पंचचत्व प्रकाश -- सहजकीर्ति (१६४४)
कल्पद्रुमकोश -- केशव -- 'केशवस्वामी' से ये भिन्न हैं।
नानार्थर्णव -- केशवस्वामी
शब्दरत्नावली -- मथुरेश (समय १७वी शताब्दी)
कोशकल्पतरु -- विश्वनाथ
नानार्थपदपीठिका -- सुजन
शब्दलिंगार्थचंद्रिका -- सुजन
पर्यायपदमंजरी --
शब्दार्थमंजूषा --
पर्यायरत्नमाला -- महेश्वर (संभवतः पर्यायवाची कोश 'विश्वप्रकाश' के निर्माता महेश्वर से भिन्न हैं।
पर्यांयशब्दरत्नाकर -- धनंजय भट्टाचार्य
विश्विमेदिनी -- सारस्वत भिन्न
विश्वनिघंटु -- विश्वकवि
लोकप्रकाश -- क्षेमेंद्र
अनेकार्थमाला -- महीप
पर्यामुक्तावली -- हरिचरणसेन
पंचनत्वप्रकाश -- वेणीप्रसाद
राघव खांड़ेकर -- केशावतंस
अनेकार्थध्वनिमंजरी -- महाक्षपणक
आख्यातचीन्द्रिक -- भट्टमल्ल (क्रियाकोश)
लिंगानुशासन -- हर्ष
शब्दभेदप्रकाश -- अनिरुद्ध
शिवकोश (वैद्यक) -- शिवदत्त वैद्य
गणितार्थ नाममाला --
नक्षत्रकोश --
लैकिकन्यायसाहस्री -- भुवनेश (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
लौकिक न्यायसंग्रह -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
लौकिक न्याय मुक्तावली -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
लौकिकन्यायकोश -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
शब्दकल्पद्रुम -- राधाकान्त देव (१८८६-९४)
वाचस्पत्यम् --

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