Monday, 18 December 2017
पूर्वचर्चित-- पुर,गोत्र,आम्नाय,आस्पद,प्रवर,वेद,उपवेद,शाखा,सूत्र,शिखा, पाद,छन्द,देवतादि बोधक सारिणी –
(इस सारिणी को शाकद्वीपियों के सर्वमान्य अठारह गोत्रों के अनुसार सजाया गया है। जिन गोत्रों में पुरों की संख्या अधिक है उन्हें सारणीवद्ध किया गया है, शेष यानी जिनमें संख्या कम है, सीधे-सीधे वर्णन कर दिया गया है। )
(१) मौद्गल गोत्र—मुद्गल ऋषि इसके प्रवर्तक हैं। इस गोत्र वालों का प्रवर- त्रिप्रवर होता है (मौद्गल,आंगिरस,और भार्ग्यश्व । सामवेद और ययुर्वेद इनका वेद है । तद्नुसार उपवेद है- गन्धर्ववेद और धनुर्वेद । शाखा इनकी माध्यन्दिनी और कौथुमी है । सूत्र कात्यायनी और गोभिल है । छन्द है त्रिष्टुप् तथा जगति । शिखा एवं पाद दक्षिण है । रुद्र और विष्णु इनके देवता हैं । आम्नाय- 1. अर्क (१-१७), पुर-पुण्यार्क, मूल स्थान पण्डारक, पटना । 2.किरण- (१-१७), पुर- पुनरखिया, मूलस्थान- बाढ़,पटना । 3. अथोपकिरण- (१-१८), पुर-भुजादित्य, भुजडीहा । मूल स्थान- वासौ, भोजपुर।
(२) अत्रिगोत्र— अत्रिऋषि इसके प्रवर्तक कहे गये हैं । अत्रिगोत्र वाले पञ्चप्रवर हैं । यथा— अत्रि,कृष्णात्रि,अर्चि, अचनिनस और श्यावाश्य । इनका वेद है ऋग्वेद । उपवेद है आयुर्वेद । शाखा शाकल, सूत्र आश्वलायन । छन्द गायत्री, शिखा और पाद दक्षिण तथा देवता हैं- ब्रह्मा । इनके अन्तर्गत मात्र एक पुर है— किरण आम्नाय वाला देवहापुर, जिनका मूलस्थान देव, गया है।
(३) अंगिरस(अंगौरा) गोत्र— अंगिरा ऋषि इसके प्रवर्तक हैं । इस गोत्र वालों का प्रवर- त्रिप्रवर होता है। सामवेद और ययुर्वेद इनका वेद है । तदनुसार उपवेद है- गन्धर्ववेद और धनुर्वेद । शाखा इनकी माध्यन्दिनी और कौथुमी है। सूत्र कात्यायनी और गोभिल है। छन्द हैत्रिष्टुप् तथा जगति । शिखा एवं पाद दक्षिण है। रुद्र और विष्णु इनके देवता हैं । आम्नाय- किरण (१-१७), पुर- मुकुरमेराव / कुरमेराव, मूल स्थान- यवना(आरा)। तथा किरण (१-१७) पुर अवधियार/औधियार,अरवल, बिहार।
(४) भारद्वाज गोत्र— भारद्वाज ऋषि इसके प्रवर्तक हैं । प्रवर तीन हैं (अंगिरस, भारद्वाज और वृहस्पति), यानी त्रिप्रवर कहे जाते हैं ।तात्पर्य ये है कि उक्त तीन ऋषियों को स्थापित किया जायेगा यज्ञोपवीत की गांठों में । इनका वेद ययुर्वेद है, तदनुसार उपवेद हुआ – धनुर्वेद । शाखा माध्यन्दिनी है और सूत्र कात्यायनी । छन्द है त्रिष्टुप् तथा शिखा एवं पाद दक्षिण । इस गोत्र वालों के देवता रुद्र हैं । आगे जिन-जिन पुरों के भारद्वाज गोत्र हैं, उनकी सूची आम्नाय और मूलस्थान सहित सारणी रुप में प्रस्तुत है-
आम्नाय
|
पुर
|
मूलस्थान
|
आर १-२४
|
उरवार/उरुवार
|
ऊर, टेकारी,गया
|
आर १-२४
|
मखपवार
|
मखपा,टेकारी,गया
|
आर १-२४
|
देवकुलियार/देवकरियार
|
देवकली,देव,गया
|
आर १-२४
|
पडरियार
|
पड़ारी,विक्रम,पटना
|
आर १-२४
|
अदईयार
|
अदई,कोंच,गया
|
आर १-२४
|
पवईयार/पेवईयार
|
पवई,औरंगाबाद,बिहार
|
आर १-२४
|
वरवार
|
वारा,परइया,गया
|
आर १-२४
|
छत्रवार
|
बेलागंज,गया
|
आर १-२४
|
जम्बुवार
|
जमुआर,टेकारी,गया
|
आदित्य १-१२
|
वेलासी/विलुशैय्या/विलसैया
|
बेलासी,बरसड़ा,गाजीपुर
|
आदित्य १-१२
|
गनिया/गड़वार/गंडार्क
|
गंगटी,गया
|
आदित्य १-१२
|
देवडीहा/दवड़ीहार्क
|
डीहा,देवकुली,गया
|
आदित्य १-१२
|
गुनसैया/गनैया
|
गंगही,गया
|
किरण १-१७
|
देव वरुणार्क
|
देवचन्दा,पीरो,आरा
|
किरण १-१७
|
पंचकंठी/पंचकंठ
|
पचमो,ईमामगंज,गया
|
किरण १-१७
|
देवयार
|
देव,टेकारी,गया
|
किरण१-१७
|
गंडार्क
|
गंगटी,गोह,गया
|
किरण१-१७
|
स्वेतभद्र
|
रामपुर,वस्ती,यू.पी.
|
किरण१-१७
|
डुंडइयार/डुडरियार
|
खडराही,गया
|
उपकिरण१-१८
|
धर्मादित्य
|
देवकुली,छपरा
|
उपकिरण१-१८
|
हुंड़रियार / हुणरियार
|
हुणराही,टेकारी,गया
|
उपकिरण १-१८
|
सप्तार्क
|
सेतपुर,छपरा,उ.बिहार
|
उपकिरण १-१८
|
देवबालार्क
|
.....
|
मण्डल १-१२
|
भेंड़ापाकर/भड़रियार
|
भंडरिया,गया
|
मण्डल १-१२
|
डिहिक / डिहक
|
डीह,पटना
|
नोटः-1.हुड़रियार अपना मूल स्थान पाण्डेपुर, बरिआवां, जिला औरंगाबाद(बिहार) भी बतलाते हैं । वर्तमान समय में वहां काफी संख्या में ये लोग हैं । मालीराज के आसपास के अन्य गांवों(बरिआवां,बेनी,पंडितविगहा,पोखराही इत्यादि) में भी हुड़रियारों की काफी संख्या है । इससे लगता है कि उनका मूल स्थान पांडेपुर ही रहा होगा ।
2. विलसैया(वेलासी)पुर गर्ग गोत्र में भी मिलते हैं । क्षत्रसार पुर कौशिक गोत्र में भी मिलते हैं । जम्मुआर क्रमशः वत्स, गर्ग और शाण्डिल्य गोत्र में भी मिलते हैं । गुनसैया कौशिक गोत्र में भी मिलते हैं । देवबालार्क शाण्डिल्य और कौशिक दोनों गोत्र में मिलते हैं । मखपवार पुर मिहिरगोत्र में भी मिलता है । ध्यातव्य है कि तदनुसार ही उनका प्रवरादि भी होना चाहिए ।
(५) कौण्डिन्य गोत्र — कौशिक गोत्र वाले त्रिप्रवर हैं - वशिष्ठ,मित्रावरुण और कौण्डिन्य । इनका वेद सामवेद है । उपवेद है गंधर्ववेद। शाखा-कौथुमी। सूत्र गोभिल । छंद है जगति । शिखा एवं पाद वाम है, तथा देवता हैं विष्णु । इस गोत्र सूची में निम्नांकित पुर आते हैं—
(६) काश्यप गोत्र— काश्यप गोत्र वाले त्रिप्रवर हैं- कश्यप,देवल और असित । इनका वेद सामवेद है । उपवेद इनका है गंधर्ववेद । शाखा- कौथुमी। सूत्र गोभिल । छंद है जगति । शिखा एवं पाद वाम है, तथा देवता हैं विष्णु । इस गोत्र सूची में निम्नांकित पुर आते हैं—
आम्नाय
|
पुर
|
मूलस्थान
|
आर१-२४
|
छेरियार
|
छेरियारी,मखदुमपुर,गया
|
आर १-२४
|
कुरैयार/कुरैचियार
|
कुराइच,रोहतास,बिहार
|
आर १-२४
|
भलुनियार
|
भलुनी,रोहतास,बिहार
|
आदित्य१-१२
|
डोमरौर/डुमरौर
|
डुमरा,हसनपुर,गया
|
आदित्य१-१२
|
सर्पहार्क/सपहा
|
सपट्टा,बाबा का बाजार (अस्पष्ट
|
आदित्य१-१२
|
महुरसिया/मुरसिया
|
मोहरस देव,गया
|
उपकिरण १-१८
|
अरिहंसिया
|
ऐयारी,देव,गया
|
उपकिरण१-१८
|
गोरक्षपुरिया
|
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश
|
उपकिरण१-१८
|
बेलयार
|
बेलगांव,छपरा,बिहार
|
उपकिरण१-१८
|
श्यामवौर
|
सोमारी,आजमगढ़,उत्तर प्रदेश
|
उपकिरण १-१८
|
मृगहा
|
मृगा,वासो,गाजीपुर,उत्तर प्रदेश
|
किरण १-१७
|
सियरियार/सियरी
|
सियारी,मौआवार,गोरखपुर
|
किरण १-१७
|
मोरियार
|
जमीरा,मलमा,गया
|
किरण १-१७
|
पठकौलियार
|
पठकौली,वस्ती,उत्तरप्रदेश
|
किरण १-१७
|
पंचहाय
|
पंचाननपुर,टेकारी,गया
|
किरण १-१७
|
सौरियार
|
सैदाबाद,पटना
|
किरण १-१७
|
कुकरौंधा
|
कुकरौधा,गया
|
किरण १-१७
|
जुट्टीवरी/जुट्ठीवरी
|
जुट्ठी,डेहरी
|
आर१-२४
|
पुण्यार्क
|
पंडारक,पटना
|
मण्डल १-१२
|
चंडरोह/चंदरोटी
|
चाँदपुर,पटना
|
मण्डल १-१२
|
खजुराहा
|
खजुरी,गया
|
नोट- ध्यातव्य है कि भलुनियार पुर शाण्डिल्य गोत्र में भी हैं, और श्यामबौरपुर कौशिक गोत्र में भी हैं । अतः तदनुसार ही उनका प्रवरादि होगा ।
(५) कौण्डिन्य गोत्र — कौशिक गोत्र वाले त्रिप्रवर हैं - वशिष्ठ,मित्रावरुण और कौण्डिन्य । इनका वेद सामवेद है । उपवेद है गंधर्ववेद। शाखा-कौथुमी। सूत्र गोभिल । छंद है जगति । शिखा एवं पाद वाम है, तथा देवता हैं विष्णु । इस गोत्र सूची में निम्नांकित पुर आते हैं—
आम्नाय
|
पुर
|
मूलस्थान
|
आर १-२४
|
केरियार
|
कटैया,औरंगाबाद,बिहार
|
आर १-२४
|
ओडरियार/ यौतियार
|
ओड़ो,हिसुआ,नवादा,गया
|
आर १-२४
|
खंटवार
|
खनेटा,बेलागंज,गया
|
आर १-२४
|
कुरैयार/वरोचियार
|
कुर्था,बेलागंज,गया
|
आर १-२४
|
सिवौरियार
|
वेरी,मदनपुर,औरंगाबाद,बिहार
|
आर १-२४
|
भलौडियार
|
भड़ौरी,परइया,छपरा
|
किरण १-१७
|
वेरियार/विडौरा
|
कुटेप,वारा,गया
|
अर्क १- ७
|
कोणार्क
|
कोना,मदनपुर,औरंगाबाद,बिहार
|
मण्डल १-१२
|
खण्डसूप/ खणासूपक
|
खनेटी,टेकारी,गया
|
आदित्य१-१२
|
कुण्डार्क
|
कुन्डवा,गोह,गया
|
आदित्य१-१२
|
वरुणार्क
|
पटना
|
(६) काश्यप गोत्र— काश्यप गोत्र वाले त्रिप्रवर हैं- कश्यप,देवल और असित । इनका वेद सामवेद है । उपवेद इनका है गंधर्ववेद । शाखा- कौथुमी। सूत्र गोभिल । छंद है जगति । शिखा एवं पाद वाम है, तथा देवता हैं विष्णु । इस गोत्र सूची में निम्नांकित पुर आते हैं—
आम्नाय
|
पुर
|
मूलस्थान
|
आर१-२४
|
छेरियार
|
छेरियारी,मखदुमपुर,गया
|
आर १-२४
|
कुरैयार/कुरैचियार
|
कुराइच,रोहतास,बिहार
|
आर १-२४
|
भलुनियार
|
भलुनी,रोहतास,बिहार
|
आदित्य१-१२
|
डोमरौर/डुमरौर
|
डुमरा,हसनपुर,गया
|
आदित्य१-१२
|
सर्पहार्क/सपहा
|
सपट्टा,बाबा का बाजार (अस्पष्ट
|
आदित्य१-१२
|
महुरसिया/मुरसिया
|
मोहरस देव,गया
|
उपकिरण १-१८
|
अरिहंसिया
|
ऐयारी,देव,गया
|
उपकिरण१-१८
|
गोरक्षपुरिया
|
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश
|
उपकिरण१-१८
|
बेलयार
|
बेलगांव,छपरा,बिहार
|
उपकिरण१-१८
|
श्यामवौर
|
सोमारी,आजमगढ़,उत्तर प्रदेश
|
उपकिरण १-१८
|
मृगहा
|
मृगा,वासो,गाजीपुर,उत्तर प्रदेश
|
किरण १-१७
|
सियरियार/सियरी
|
सियारी,मौआवार,गोरखपुर
|
किरण १-१७
|
मोरियार
|
जमीरा,मलमा,गया
|
किरण १-१७
|
पठकौलियार
|
पठकौली,वस्ती,उत्तरप्रदेश
|
किरण १-१७
|
पंचहाय
|
पंचाननपुर,टेकारी,गया
|
किरण १-१७
|
सौरियार
|
सैदाबाद,पटना
|
किरण १-१७
|
कुकरौंधा
|
कुकरौधा,गया
|
किरण १-१७
|
जुट्टीवरी/जुट्ठीवरी
|
जुट्ठी,डेहरी
|
आर१-२४
|
पुण्यार्क
|
पंडारक,पटना
|
मण्डल १-१२
|
चंडरोह/चंदरोटी
|
चाँदपुर,पटना
|
मण्डल १-१२
|
खजुराहा
|
खजुरी,गया
|
नोट- ध्यातव्य है कि भलुनियार पुर शाण्डिल्य गोत्र में भी हैं, और श्यामबौरपुर कौशिक गोत्र में भी हैं । अतः तदनुसार ही उनका प्रवरादि होगा ।
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